हाय वो परदेसी मन में
हो कौन दिशा से आ गया
हाय वो परदेसी
हाय वो परदेसी
चारों दिशाओं में ए जी लगे लाज के पहरे थे
हो परबत से भी ऊँचे ऊँचे थे सागर से भी गहरे थे
हाय वो परदेसी मन में हो कौन दिशा से आ गया
हाय वो परदेसी
हाय वो परदेसी
मैं टूट के फूल सी गिर पड़ूँ ना किसी झोली में
हो वो ले ना जाए बिठा के मुझे नैनों की डोली में
हाय वो परदेसी मन में हो कौन दिशा से आ गया
हाय वो परदेसी
हाय वो परदेसी
सोचूँ खड़ी रोक पाई नहीं मैं जिसे आने से
हो जाएगा वो तो उसे कैसे रोकूँगी मैं जाने से
हाय हाय वो परदेसी मन में हो कौन दिशा से आ गया
हाय वो परदेसी
हाय वो परदेसी
ANAND BAKSHI, R BURMAN
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