Lyrics
बाहर से कोई अंदर ना आ सके
अंदर से कोई बाहर ना जा सके
सोचो कभी ऐसा हो तो क्या हो
सोचो कभी ऐसा हो तो क्या हो
हम तुम एक कमरे में बंद हो
और चाबी खो जाए
हम तुम एक कमरे में बंद हो
और चाबी खो जाए
तेरे नैनों की भूलभुलैया में बॉबी खो जाए
हम तुम एक कमरे में बंद हो
और चाबी खो जाए
आगे हो घनघोर अँधेरा
बाबा मुझे डर लगता है
पीछे कोई डाकू लूटेरा
हम क्यूँ डरा रहे हो
आगे हो घनघोर अँधेरा
पीछे कोई डाकू लूटेरा
ऊपर भी जाना हो मुश्किल
नीचे भी आना हो मुश्किल
सोचो कभी ऐसा हो तो क्या हो
सोचो कभी ऐसा हो तो क्या हो
हम तुम कहीं को जा रहे हो
और रास्ता भूल जाए
ओ हो
हम तुम कभी को जा रहे हो
और रस्ता भूल जाए
तेरी बइयाँ के झूले में सैयां बॉबी झूल जाए
हम तुम एक कमरे में बंद हो
और चाबी खो जाए
हा हा हा हा हा हा
बस्ती से दूर पर्बत के पीछे मस्ती में चूर
घने पेड़ों के नीचे
अनदेखी अनजानी सी जगह हो
बस एक हम हो दूजी हवा हो
सोचो कभी ऐसा हो तो क्या हो
सोचो कभी ऐसा हो तो क्या हो
हम तुम एक जंगल से गुज़रे और शेर आ जाए
हम तुम एक जंगल से गुज़रे और शेर आ जाए
शेर से मैं कहूँ तुमको छोड़ दे मुझे खा जाए
हम तुम एक कमरे में बंद हो
और चाबी खो जाए
और चाबी खो जाए
और चाबी खो जाए खो जाए
ANANDSHI BAKSHI, Laxmikant Pyarelal
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